Thursday 28 December 2017

श्रम क़ानूनों में मज़दूर-विरोधी संशोधन

एनडीए सरकार द्वारा श्रम क़ानूनों में मज़दूर-विरोधी संशोधन 

पीपल्स यूनियन फ़ॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (नवम्बर 2017)
(हिन्दी अनुवाद – प्रबल अगरवाल)

एनडीए सरकार द्वारा ‘मेक इन इण्डिया’, ‘स्किल इण्डिया’, ‘डिजिटल इण्डिया’ और ‘व्यापार की सहूलियत’ जैसे कार्यक्रमों का डंका बजाते हुए श्रम क़ानूनों में संशोधन किये जा रहे हैं। श्रम मन्त्रालय द्वारा 43 श्रम क़ानूनों को 4 बड़े क़ानूनों में समेकित किया जा रहा है। इसी कड़ी में 10 अगस्त 2017 को लोक सभा में ‘कोड ऑफ़ वेजिस बिल, 2017’ पेश किया गया। प्रत्यक्ष रूप से इस बिल का उद्देश्य वेतन सम्बन्धी निम्न चार केन्द्रीय श्रम क़ानूनों के प्रासंगिक प्रावधानों का एकीकरण व सरलीकरण करना है

(1) पेमेण्ट ऑफ़ वेजिस एक्ट, 1936, (2) मिनिमम वेजिस एक्ट, 1948, (3) पेमेण्ट ऑफ़ बोनस एक्ट, 1965, (4) इक्वल रेम्यूनरेशन एक्ट, 1976। ग़ौरतलब है कि प्रस्तावित संशोधन मज़दूर विरोधी हैं और मालिकों/प्रबन्धन के मुक़ाबले उनकी स्थिति को मज़बूती देने की जगह और कमज़ोर कर देते हैं। इसका विश्लेषण निम्नलिखित है।

रोज़गार सूची – इस कोड में एम्प्लॉयमेण्ट शेड्यूल को हटा दिया गया है जो श्रमिकों को कुशल, अर्ध-कुशल और अकुशल की श्रेणी में बाँटती थी। ये नियम उन मज़दूरों के लिए तो उपयोगी है जो लोग एम्प्लॉयमेण्ट शेड्यूल में नहीं है जैसे घरेलू मज़दूर (13 राज्यों को छोड़कर घरेलू मज़दूर शेड्यूल में नहीं आते, इसलिए न्यूनतम मज़दूरी दरें उन पर लागू नहीं होतीं)। परन्तु इसका दुष्प्रभाव कुशल और अर्ध-कुशल मज़दूरों पर होगा जो मालिक से अधिक वेतन प्राप्त करने योग्य हैं।

मज़दूरी तय करने के मापदण्ड – प्रस्तुत कोड में न्यूनतम मज़दूरी की दर समयानुसार (टाईम वर्क) और मात्रानुसार (पीस वर्क) तय होगी और वेतनकाल घण्टे, दिन या महीने के हिसाब से हो सकता है। मज़दूरी तय करने के लिए सरकार काम के लिए आवश्यक कौशल, कठिनाई, कार्यस्थल की दूरी और अन्य उपयुक्त पहलू ध्यान में रख सकती है। यह नियम खुलेआम सुप्रीम कोर्ट के न्यूनतम मज़दूरी सम्बन्धी फ़ैसलों की धज्जियाँ उड़ाता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह कई बार दोहराया है कि न्यूनतम मज़दूरी मज़दूर की सभी आवश्यकताओं के हिसाब से तय होनी चाहिए। न केवल उसकी साधारण शारीरिक ज़रूरतों के आधार पर और न ही उत्पादन के आधार पर। इसके अनुसार न्यूनतम मज़दूरी तय करते समय आहार-पोषण, पहनने-रहने, इलाज का ख़र्च, पारिवारिक ख़र्च, शिक्षा, ईंधन, बिजली, त्योहारों और समारोहों के ख़र्च, बुढ़ापे और अन्य ख़र्चों का ध्यान रखा जाना चाहिए। 1992 के मज़दूर प्रतिनिधि सचिव बनाम रेप्ताकोस ब्रैट प्रबन्धन केस में सुप्रीम कोर्ट ने न्यूनतम मज़दूरी के लिए निम्न 6 मापदण्ड तय किये थे – (1) एक मज़दूर को 3 व्यक्तियों के उपभोग का पैसा मिले, (2) एक औसत भारतीय वयस्क के लिए न्यूनतम आहार आवश्यकता 2700 कैलोरी, (3) हर परिवार के लिए सालाना 72 यार्ड्स कपड़ा, (4) सरकारी औद्योगिक आवास योजना के अन्तर्गत प्रदान किये गये न्यूनतम क्षेत्र का किराया, (5) न्यूनतम मज़दूरी का 20% ईंधन, बिजली और अन्य ख़र्चों के लिए, (6) कुल न्यूनतम मज़दूरी में 25% बच्चों, स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन (त्योहार, समारोह आदि), बुढ़ापे, शादी आदि के लिए। बिल में इन सब मापदण्डों को ख़त्म करने का प्रयास है। हालाँकि कोड के अनुच्छेद 7 (2) के अनुसार राज्यों को जीवनयापन में होने वाले ख़र्चे के हिसाब से समय-समय पर वेतन निश्चित करने का प्रावधान है लेकिन यह बहुत ही अस्पष्ट है और यहाँ तक कि अनिवार्य भी नहीं है।

काम करने के घण्टे और ओवरटाइम – प्रस्तुत कोड के अनुच्छेद 13 के अनुसार सरकार यह तय कर सकती है कि एक आम दिन में कुल कितने घण्टे काम होगा। लेकिन सरकार निम्न कर्मचारियों के लिए इस नियम को ताक पर भी रख सकती है –
  1. वे कर्मचारी जिन्हें किसी आपातकालीन काम में लगाया गया है जिसका पहले से अन्देशा न हो
  2. वे कर्मचारी जिनसे कोई ऐसा काम लिया जा रहा है जो मुख्य काम का पूरक है और आम कामकाज के दौरान नहीं हो सकता
  3. वे कर्मचारी जिनका रोज़गार अनिरन्तर है
  4. वे कर्मचारी जो ऐसे काम में लगे हैं जो तकनीकी कारणों से ड्यूटी ख़त्म होने से पहले ही करने हैं
  5. वे कर्मचारी जो ऐसा काम कर रहे हैं जो प्रकृति की अनियमितता पर निर्भर हैं
ये नियम पूरी तरह ओवरटाइम की वर्तमान व्यवस्था के खि़लाफ़ हैं जिसके अनुसार दिन में 9 घण्टे से ज़्यादा और हफ़्ते में 48 घण्टे से ज़्यादा काम करना ‘ओवरटाइम’ कहलाता है। ओवरटाइम की इस परिभाषा को ख़त्म करके एवं पूरक कार्य और अनिरन्तर काम के बहाने ये अनुच्छेद ओवरटाइम के लिए मिलने वाली अतिरिक्त मज़दूरी पर एक योजनाबद्ध हमला है।

मालिकों को बोनस से छुटकारा – 1965 के पेमेण्ट ऑफ़ बोनस एक्ट ने नयी कम्पनियों को बोनस न देने की छूट दी थी, लेकिन वर्तमान कोड नयी कम्पनी किसे कहा जा सकता है, इसे अस्पष्ट बनाकर पूरी तरह कम्पनियों को बोनस देने के नियम से छुटकारा दिलवाने के चक्कर में है। नयी कम्पनी की परिभाषा में अब किसी “फ़ैक्टरी का ट्रायल रन” और “किसी ख़ान की पूर्वेक्षण की अवस्था” भी जोड़ दी गयी है, जिन पर कोई समय का बन्धन भी नहीं है। पुरानी कम्पनियाँ भी ट्रायल रन व पूर्वेक्षण की अवस्था के नाम पर मज़दूरों को बोनस देने से बच सकती हैं।

इस कोड ने कम्पनियों की आज्ञा के बिना उनकी बैलेंस शीट तक उजागर करने पर सरकारी अधिकारियों पर यह तर्क देते हुए प्रतिबन्ध लगा दिया है कि कम्पनियों पर विश्वास करना चाहिए और उन्हें अपने हिसाब-किताब की प्रमाणिकता का कोई सबूत भी देने की ज़रूरत नहीं है। यूनियनों या मज़दूरों को अब मुनाफ़ों से सम्बन्धित किसी स्पष्टीकरण के लिए ट्रिब्यूनल या आरबीट्रेटर के पास जाना होगा, जो कि उपयुक्त लगने पर ही स्पष्टीकरण देने के लिए बाध्य होंगे।

वेतन में मनमानी कटौती – अनुच्छेद 18 मालिकों को यह अधिकार देता है कि वह किसी भी मज़दूर के असन्तोषजनक काम के चलते या अपने “नुक़सान की पूर्ति” करने के लिए उसकी तनख़्वाह काट सकते हैं! क्योंकि तनख़्वाह काटने के लिए किसी भी प्रकार की औपचारिक प्रक्रिया की ज़रुरत ही नहीं रह जायेगी, मालिक इसका इस्तेमाल मनमाने ढंग से मज़दूरों को सज़ा देने के लिए करेंगे।

लिंग आधारित भेदभाव – प्रस्तुत कोड ने 1976 के इक्वल रेम्यूनरेशन एक्ट (बराबर वेतन अधिनियम) के उन प्रावधानों को ख़त्म कर दिया है जो महिलाओं के लिए रोज़गार पैदा करने के पक्ष में थे और लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव के खि़लाफ़ थे।

लेबर इंस्पेक्टर की जगह ‘फ़ैसिलिटेटर’ – प्रस्तुत कोड कमिश्नर और इंस्पेक्टर की जगह ‘फ़ैसिलिटेटर’ की बात करता है जो “कोड को लागू करने के लिए मालिकों और मज़दूरों को सुझाव देगा”। यह फ़ैसिलिटेटर राज्य सरकारों के नियमानुसार फ़ैक्टरियों का निरीक्षण करने के लिए भी जि़म्मेदार होते हैं। लेकिन प्रस्तुत कोड ऑनलाइन निरीक्षण पर ज़ोर देता है, जिससे अचानक किये जाने वाले शारीरिक निरीक्षण की प्रथा ख़त्म हो जायेगी। और तो और प्रस्तुत कोड इण्टरनेट द्वारा ‘सेल्फ़-सर्टिफि़केशन’ (आत्म-प्रमाणीकरण) का भी प्रावधान ले आया है।

ट्रेड-यूनियनों पर रोकटोक – यह बिल यूनियन की गतिि‍वधियों में मज़दूरों को शामिल होने पर सीधा प्रतिबन्ध लगाने का प्रयास है। इसके तहत मज़दूरों की यूनियन की गतिविधियों में भागीदारी केवल चन्दे तक ही सीमित रह पायेगी।

मालिकों के खि़लाफ़ कार्यवाही पर रोकटोक – 1948 के ‘मिनिमम वेजिस एक्ट’ (न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम) के अनुसार न्यूनतम मज़दूरी न देने से मालिक को जेल हो सकती है। 1983 के संजीत रॉय बनाम राजस्थान सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह फ़ैसला सुनाया था कि न्यूनतम मज़दूरी न देना बेगारी/ज़बरदस्ती काम लेने के बराबर है, जो पूरी तरह असंवैधानिक है। इसके विपरीत प्रस्तुत कोड वेतन और बोनस के सवाल को आपराधिक मामले के दायरे से सिविल मामले के दायरे में ले आया है। जो मालिक कोड का उल्लंघन करेगा, उसे कोड को मानने का एक और मौक़ा दिया जायेगा और सज़ा देने से पहले कोड न मानने के पीछे का कारण पूछा जायेगा। अपराधी द्वारा समझौते से निपटारा कर लेने पर उसके अपराधों को पूरी तरह माफ़ कर दिया जायेगा।

वेतन में संशोधन के लिए तय समयसीमा का ख़ात्मा – 1948 के मिनिमम वेजिस एक्ट के अनुसार ज़रुरत पड़ने पर न्यूनतम मज़दूरी में संशोधन होना चाहिए और यह संशोधन अधिकतम पाँच साल के भीतर हो जाना चाहिए। यह ट्रेड यूनियनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण प्रावधान है, क्योंकि इसी के दम पर वे प्रबन्धन से वार्ता करती हैं। लेकिन प्रस्तुत कोड में इस नियम पर भी हमला किया गया है। अनुच्छेद 8 के अनुसार – “उपयुक्त सरकार हर 5 साल बाद न्यूनतम मज़दूरी दर की समीक्षा या संशोधन करेगी”। समीक्षा का विकल्प लाकर 5 साल के अन्तराल में वेतन संशोधन की अनिवार्यता वाले प्रावधान को एक तरह से ख़त्म ही कर दिया गया है।
प्रस्तुत कोड के ज़रिये लाये जा रहे संशोधन सीधे-सीधे मालिकों के पक्ष को और मज़बूती देते हैं और मज़दूरों के हक़ों की लम्बी लड़ाई को खारिज़ करते हैं।


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Wednesday 27 December 2017

असंगठित क्षेत्र में कामगारों की पहचान

पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय
27-दिसंबर-2017 16:31 IST


असंगठित क्षेत्र में कामगारों की पहचान

असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008 में असंगठित कामगार की परिभाषा दी गयी है तथा ऐसे कामगार को इस बात की पुष्टि करने की कि वह एक असंगठित कामगार है, स्वघोषणा करने की व्यवस्था की गयी है।
भारत में असंगठित कामगारों का कोई केन्द्रीयकृत राष्ट्रीय डाटाबेस नहीं है। असंगठित कामगारों के लिए एक राष्ट्रीय मंच बनाने का विनिश्चय किया गया है। केन्द्रीय सरकार ने 402.7 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से कामगारों को बिना कोई स्मार्ट कार्ड जारी किये एक अद्वितीय आई-डी अर्थात असंगठित कामगार पहचान संख्या (यूडब्ल्यूआईएन) तथा आधार वरियता प्राप्त पहचान संख्या आवंटित करने का एक प्रस्ताव पास किया है जो अगले दो वर्ष 2017-2018 तथा 2018-2019 के दौरान कार्यान्वित किया जाएगा।
यह सूचना श्रम तथा रोजगार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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वीके/जेडी/एमएम – 6110            

भारतीय आर्थिक संघ के शताब्दी सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर माननीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद का वक्तव्य

पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
राष्ट्रपति सचिवालय
27-दिसंबर-2017 16:40 IST


भारतीय आर्थिक संघ के शताब्दी सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर माननीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद का वक्तव्य
राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने कहा कि भारतीय आर्थिक संघ के 100वें वार्षिक सम्मेलन में सम्मिलित होकर मुझे हर्ष हो रहा है। भारतीय अर्थशास्त्रियों की इस संस्था की स्थापना 1917 में हुई थी, और आज यह देश की सबसे बड़ी अकादमिक संस्था के रूप में विकसित हुई है। इसकी सदस्य संख्या लगभग सात हजार है, जिसमें कई प्रतिष्ठित व्यक्ति और संस्थान शामिल हैं।
राष्ट्रपति महोदय ने भारतीय आर्थिक संघ को बधाई देते हुए कहा कि इस संस्थान ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। नीतियों के अध्ययन से देश को बहुत लाभ हुआ है। संघ के कई सदस्यों ने तमाम नीति-निर्माता निकायों में सेवाएं दी हैं, जिनमें वित्त आयोग, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद और योजना आयोग शामिल हैं। वर्ष 1917 से संघ की पत्रिका ‘इंडियन इकोनॉमिक जर्नल’ लगातार प्रकाशित हो रही है। इस पत्रिका में अनुंसधान और समकालीन प्रासंगिक विषयों का प्रकाशन होता है।
वार्षिक सम्मेलन एक महत्वपूर्ण आयोजन है जिसमें संघ के सभी सदस्य सम्मिलित होते हैं। शताब्दी समारोह को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष की विषय वस्तु ‘भारतीय आर्थिक विकासः स्वतंत्रता उपरांत अनुभव’ है। राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि सम्मेलन के दौरान राजकोषीय नीति से लेकर विदेशी कारोबार सहित कृषि और सामाजिक-आर्थिक असमानता पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अमेरिका, स्विट्जरलैंड और मलेशिया सहित विभिन्न देशों के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बांग्लादेश के प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस आज सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि हैं। राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के योगदान से पूरा उप-महादीप गौरवान्वित हुआ है। उन्होंने कहा कि मैं प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस और अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों का हृदय से स्वागत करता हूं।
राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि पिछले 100 वर्षों के दौरान अर्थशास्त्र एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय के रूप में विकसित हुआ है। यह ऐसा विषय है जिसमें इतिहास, भूगोल, दर्शन और चरित्र का समावेश है। उन्होंने कहा कि अर्थशास्त्र एक ऐसी विशाल नदी की तरह है जिसमें विभिन्न तरंगे मौजूद है। ये तरंगे समाजशास्त्र की भी है और सांख्यिकी की भी।
श्री राम नाथ कोविंद ने कहा कि आज तमाम देशवासी अब भी निर्धनता में जीवनयापन कर रहे है या अभाव में हैं। स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा, आवास और नागरिक सुविधाओं से वे वंचित हैं। उन्होंने कहा कि समाज के पारम्परिक रूप से कमजोर वर्ग जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिलाएं इनमें शामिल हैं। वर्ष 2022 तक नव भारत के स्वप्न को पूरा करने के लिए इस समस्या को हल करना बहुत आवश्यक है। उल्लेखनीय है 2022 में हमारी स्वतंत्रता को 75 वर्ष हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करने की आवश्यकता है।
श्री कोविंद ने कहा कि मैंने जिन मुद्दों का उल्लेख यहां पर किया है, वे वास्तव में भारत के संविधान की राज्य सूची में शामिल है। इसलिए यह आवश्यक है कि इन मुद्दों को स्थानीय और राज्य स्तर पर हल किया जाना चाहिए, ताकि ‘भारतीय विकास अनुभव’ को आगे बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि ‘सहकारी संघवाद’ के युग में और 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के कार्यान्वयन के बाद विभिन्न राज्यों का दायित्व बढ़ गया है।
राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि केन्द्र सरकार के साथ मैं भी अर्थशास्त्री समुदाय से आग्रह करता हूं कि वे हमारी राज्य सरकारों के साथ मिलकर अधिक से अधिक काम करें और उन्हें सलाह देकर विकास में योगदान करें। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में मैं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री एन. चन्द्रबाबू नायडू को बधाई देता हूं कि उन्होंने अपने राज्य को आर्थिक विचारशीलता के क्षेत्र में अग्रणी बनाया है।
राष्ट्रपति महोदय ने उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया द्वितीय विश्वयुद्ध के समाप्त होने के बाद गत कई दशकों तक कुछ वास्ताविकताओं के साथ जीती रही, जो अब समाप्त हो रही हैं। इन बदलावों से अर्थशास्त्र अछूता नहीं है। हमारे सामने ऐसी परिस्थिति है जहां कई समाज उदार कारोबारी व्यवस्था के लिए संरक्षणवाद को अपना रहे हैं। भारत जैसी उदीयमान अर्थव्यवस्था को विश्व संपर्क के लिए आवाज उठानी होगी, जहां व्यापार लोगों के लिए लाभप्रद हो।
श्री कोविंद ने कहा कि घरेलू मुद्दे भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। औपचारिक रोजगार का युग धीरे-धीरे रोजगार अवसर पैदा कर रहा है और स्व-रोजगार अवसर भी सामने आ रहे हैं। यह अवसर खासतौर से सेवा क्षेत्र और डिजिटल अर्थव्यवस्था में हैं। उन्होंने कहा कि हमें अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को समझना होगा और उसके अनुरूप नीतियां बनानी होंगी। हमें सामाजिक सुरक्षा उपाय भी तैयार करने होंगे ताकि कामगारों की सुरक्षा हो सके।
उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने इन विषयों को चिन्हित किया है। स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, मुद्रा योजना और जन धन योजना जैसे कदमों से लाखों लोग बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ गए हैं।
श्री कोविंद ने कहा कि हमारे अर्थशास्त्रियों को इन चुनौतियों और विषयों पर विचार और उनका विश्लेषण करना होगा ताकि भावी रोड मैप तैयार हो सके। उन्होंने कहा कि मुझे भरोसा है कि अगले चंद दिनों के दौरान इन सभी विषयों पर सम्मेलन में चर्चा होगी। मुझे पूरा विश्वास है कि संघ के सभी सदस्य हमारे राष्ट्र की विकास प्रक्रिया से जुडेंगे और देशवासियों के कल्याण के लिए प्रयत्नशील होंगे। उन्होंने सम्मेलन की सफलता की कामना की और सभी को नववर्ष की बधाई दी।

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Thursday 21 December 2017

भारतमाला परियोजना: एनएचएआई ने राष्ट्रीय राजमार्ग निवेश संवर्धन प्रकोष्ठ (एनएचआईपीसी) बनाया

पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय
21-दिसंबर-2017 18:11 IST

एनएचएआई ने राष्ट्रीय राजमार्ग निवेश संवर्धन प्रकोष्ठ (एनएचआईपीसी) बनाया
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने राजमार्ग परियोजनाओं के लिए घरेलू एवं विदेशी निवेश आकर्षित करने हेतु एक राष्ट्रीय राजमार्ग निवेश संवर्धन प्रकोष्ठ (एनएचआईपीसी) बनाया है। यह प्रकोष्ठ सड़क अवसंरचना परियोजनाओं में निवेशकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक संस्थागत निवेशकों, निर्माण कंपनियों, डेवलपरों और कोष प्रबंधकों के साथ सहभागिता पर अपना ध्यान केन्द्रित करेगा। सरकार ने ‘भारतमाला परियोजना’ के तहत 5,35,000 करोड़ रुपये के निवेश से अगले पांच वर्षों में 35,000 किलोमीटर लम्बे राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इसके लिए आवश्यक भारी-भरकम निवेश को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों से घरेलू एवं विदेशी निवेश दोनों की ही विशेष अहमियत है। 

एनएचआईपीसी मुख्य रूप से सड़क से जुड़े बुनियादी ढांचे या अवसंरचना में विदेशी एवं घरेलू निवेश को बढ़ावा देने पर अपना ध्यान केन्द्रित करेगा। एनएचआईपीसी इसके लिए भारत सरकार के विभिन्न संबद्ध मंत्रालयों एवं विभागों, राज्य सरकारों, शीर्ष वाणिज्यिक चैम्बरों जैसे कि फिक्की, एसोचैम और इन्वेस्टइंडिया, इत्यादि के साथ मिलकर काम करेगा। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए एनएचआईपीसी भारत स्थित विदेशी दूतावासों एवं मिशनों और विदेश में अवस्थित भारतीय दूतावासों एवं मिशनों के साथ भी मिलकर काम करेगा।
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ग्रामीण आबादी के वित्तीय समावेशन के लिए दर्पण परियोजना लांच की गई

पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
संचार मंत्रालय
21-दिसंबर-2017 18:13 IST

ग्रामीण आबादी के वित्तीय समावेशन के लिए दर्पण परियोजना लांच की गई
संचार मंत्री श्री मनोज सिन्हा ने आज सेवा गुणवत्ता में सुधार, सेवाओं में मूल्यवर्धन तथा बैंक सेवा से वंचित ग्रामीण आबादी के वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए दर्पण – “डिजिटल एडवासंवेंट ऑफ रूरल पोस्टऑफिस फॉर ए न्यू इंडिया” परियोजना लांच की। उन्होंने कहा कि 1400 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ आईटी आधुनिकीकरण परियोजना का लक्ष्य प्रत्येक शाखा पोस्ट मास्टर (बीपीएम) को कम शक्ति का टेक्नालाजी समाधान उपलब्ध कराना है। इससे सभी राज्यों के ग्रामीण उपभोक्ताओं की सेवा में सुधार के लिए लगभग 1.29 लाख शाखा डाकघर सेवा देंगे। श्री सिन्हा ने बताया कि आज की तिथि में 43,171 शाखा डाकघरों ने दर्पण परियोजना को अपना लिया है ताकि ग्रामीण आबादी के वित्तीय समावेशन का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके। यह लक्ष्य मार्च, 2018 तक पूरा करना है।
इस परियोजना से ग्रामीण आबादी तक डाक विभाग की पहुंच बढ़ेगी और सभी वित्तीय प्रेसण, बचत खाता, ग्रामीण डाक जीवन बीमा और नकद प्रमाण पत्र में वृद्धि होगी। परियोजना से स्वचालित बुकिंग की अनुमति तथा खाता योग्य सामग्री की डिलिवरी से मेल संचालनों में सुधार होगा, खुदरा डाक व्यवसाय से राजस्व बढ़ेगा, तीसरे पक्ष के एप्लीकेशन उपलब्ध होंगे और मनरेगा जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए वितरण सहज होगा।
आईटी आधुनिकीकरण परियोजना के हिस्से के रूप में डाक विभाग ने विभिन्न कामकाजी क्षेत्रों में बिजनेस प्रोसेस रिइंजीनियरिंग का काम किया है और इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए टू-बी प्रोसेस तैयार किया है। उपलब्धि के रूप में डाक विभाग द्वारा पूरे देश में 991 एटीएम स्थापित किए गए हैं जो अन्य बैंकों के साथ अंतर संचालित हैं। डाक विभाग के व्यापक नेटवर्क विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क होने से सामान्य जन को प्रत्यक्ष लाभ मिला है। डाक विभाग के एटीएम मशीनों पर अब तक 1,12,85,217 लेन-देन किए गए। इसमें से 70,24,214 लेन-देन गैर-डाक विभाग के उपभोक्ताओं द्वारा किए गए। डाक विभाग इस क्षेत्र में एकमात्र सरकारी संस्था है।
पिछले 150 से अधिक वर्षों से डाक विभाग देश की संचार व्यवस्था का रीढ़ रहा है। डाक विभाग ने देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्म भूमिका निभाई है। डाक विभाग अनेक प्रकार से भारतीय नागरिकों के जीवन को छूता है। विभाग द्वारा मेल डिलिवरी की जाती है, लघु बचत योजनाओं के अंतर्गत जमा स्वीकार किए जाते हैं, डाक जीवन बीमा (पीएलआई) तथा ग्रामीण डाक जीवन बीमा (आरपीएलआई) के अंतर्गत जीवन बीमा कवच प्रदान किया जाता है तथा बिल एकत्र करने तथा विभिन्न फार्मों की बिक्री जैसी खुदरा सेवाएं दी जाती हैं। डाक विभाग महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) वेज वितरण तथा वृद्धावस्था पेंशन भुगतान जैसी सेवाएं नागरिकों को प्रदान करता है। 1.5 लाख डाक घरों के साथ डाक विभाग विश्व का सबसे अधिक विस्तृत डाक नेटवर्क है।
शहरीकरण, वित्तीय सेवाओं की बढ़ती मांग, सरकार द्वारा समाज के कमजोर वर्गों तथा ग्रामीण क्षेत्र के लिए अधिक धन दिए जाने जैसी प्रवृत्तियों से डाक विभाग के लिए नए अवसरों के द्वार खुले हैं। इसलिए नए प्रोसेस तथा समर्थनकारी टेकनॉलाजी की आवश्यकता है। डाक विभाग के समक्ष स्पर्धा बढ़ाने और संचार प्रौद्योगिकी विशेषकर मोबाइल टेलीफोनी तथा इंटरनेट में अग्रिम कदम बढ़ाने की दोहरी चुनौती है। श्रेष्ठ उपभोक्ता सेवा प्रदान करने, नई सेवाएं देने तथा संचालन संबंधी सक्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से डाक विभाग ने प्रारंभ से अंत तक आईटी आधुनिकीकरण योजना प्रारंभ किया है ताकि विभाग स्वयं को आवश्यक आधुनिक उपायों तथा टेकनालाजी से लैस कर सके। आईटी आधुनिकीकरण परियोजना के निम्नलिखित लक्ष्य हैं –

  1. उपभोक्ता से सक्रियता बढ़ाकर व्यापक रूप से भारतीय आबादी तक पहुंचना
  2. बेहतर उपभोक्ता सेवा
  3. नए व्यवसायों के माध्यम से विकास
  4. आईटी सक्षम बिजनेस प्रोसेस तथा समर्थनकारी कार्य

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वीके/एएम/एजी/सीएस-6057     


‘सुशासन एवं सर्वोत्तम प्रथाओं की प्रतिकृति’ पर दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन कल गुवाहाटी में शुरू होगा

पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
कार्मिक मंत्रालय, लोक शिकायत और पेंशन
21-दिसंबर-2017 18:52 IST

 ‘सुशासन एवं सर्वोत्तम प्रथाओं की प्रतिकृति’ पर दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन कल गुवाहाटी में शुरू होगा 
‘सुशासन एवं सर्वोत्तम प्रथाओं की प्रतिकृति’ पर क्षेत्रीय सम्मेलन का शुभारम्भ कल गुवाहाटी में होगा। इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के प्रशासकीय सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा असम सरकार के सहयोग से किया जा रहा है। असम के मुख्यमंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल कल इस सम्मेलन का शुभारम्भ करेंगे और प्रतिनिधियों को संबोधित करेंगे।
इस सम्मेलन का उद्देश्य एक ऐसा साझा प्लेटफॉर्म बनाना है, जहां नागरिक केन्द्रित गवर्नेंस, सार्वजनिक सेवाओं की बेहतर डिलीवरी, सुशासन सूचकांक, प्रधानमंत्री द्वारा की गई पहलों और डीएआरपीजी की राज्य सहयोग पहल योजना के बारे में जागरूकता से संबंधित अनुभवों को साझा किया जा सकेगा।
सम्मेलन के दौरान छह सत्र आयोजित किए जाएंगे। विभिन्न सत्रों के विषय ये हैं: ‘सार्वजनिक सेवाओं की उत्तरदायी डिलीवरी’, ‘प्रशासकीय सुधारों में राज्यों की सहयोगात्मक पहल’, ‘प्रधानमंत्री द्वारा की गई पहल 2017’, ‘अरुणाचल प्रदेश, असम, नगालैंड एवं मेघालय द्वारा की गई गवर्नेंस संबंधी पहलों पर पूर्वोत्तर राज्यों की ओर से प्रस्तुतियां’ और ‘राज्यों की रैंकिंग के लिए सुशासन सूचकांक विकसित करना।’ इसके बाद ‘कनेक्टिविटी: ई-गवर्नेंस के लिए पहली आवश्यकता’ पैनल परिचर्चा आयोजित की जाएगी।
असम सरकार के मुख्य सचिव श्री विनोद कुमार पिपरसेनिया और भारत सरकार के डीएआरपीजी के सचिव श्री के.वी. इयापेन 23 दिसम्बर, 2017 को समापन समारोह को संबोधित करेंगे।
36 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि इस सम्मेलन में भाग लेंगे।
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आतंकवाद और पृथकतावाद भारत और माली के लिये अभी भी चुनौती बने हुये हैं: उपराष्‍ट्रपति (Africa)

पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
उप राष्ट्रपति सचिवालय
21-दिसंबर-2017 16:00 IST

आतंकवाद और पृथकतावाद भारत और माली के लिये अभी भी चुनौती बने हुये हैं: उपराष्‍ट्रपति

उच्‍च न्‍यायालय के न्‍यायाधिशों के अध्‍यक्ष श्री अब्‍द्रहमाने नियांग के नेतृत्‍व के एक प्रतिनिधिमंड़ल के
उपराष्‍ट्रपति और राज्‍य सभा के सभापति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि आतंकवाद और पृथकतावाद अभी भी भारत और माली तथा संपूर्ण विश्‍व के लिए चुनौती बने हुए हैं। वे उच्‍च न्‍यायालय के न्‍यायाधियों के अध्‍यक्ष श्री अब्‍द्रहमाने नियांग के नेतृत्‍व में एक प्रतिनिधिमंडल तथा माली के दो सांसदों के साथ आज यहां चर्चा कर रहे थे। इस अवसर पर राज्‍यसभा के उपसभापति डॉ. पी.जे. कुरियन, राज्‍यसभा के महासचिव श्री देश दीपक वर्मा और अन्‍य गणमान्‍य भी उपस्थित थे।
उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत माली में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए ऋण देने के लिए तैयार है। उन्‍होंने कहा कि भारत ने पहले से ही माली के लिए सीमा शुल्‍क मुक्‍त टैरिफ प्राथमिकता योजना शुरू की है और भारतीय आयातक इसका लाभ उठा रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि भारत माली के साथ अपने विकास संबंधी सहयोग साझेदारी को और सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि अमूल्‍य इस्‍लामिक ग्रंथों और पांडुलिपियों के साथ टिम्‍बकटू का विरासत स्‍थल संपूर्ण विश्‍व के लिए असाधारण सांस्‍कृतिक संपदा है। उन्‍होंने कहा कि भारत ‘ताजमहल मिट्स टिम्‍बकटू’ नामक प्रदर्शनी के जल्‍द से जल्‍द शुरू होने को लेकर उत्‍सुक हैं।
उपराष्‍ट्रपति ने जी-5 साहेल संयुक्‍त बल के गठन पर माली सरकार को बधाई दी। यह बल माली और इस क्षेत्र की एकता, शांति, विकास और समृद्धि में सहयोग करेगा।

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वीके/एएम/एमके/वाईबी–6050

Wednesday 20 December 2017

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय - वहन योग्य तथा सुगम स्वास्थ्य सुविधा के माध्यम से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए संकल्पबद्ध


पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय
20-दिसंबर-2017 12:40 IST

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय - वहन योग्य तथा सुगम स्वास्थ्य सुविधा के माध्यम से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए संकल्पबद्ध 

वर्षांत समीक्षा
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय

वर्षांत: 2017
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017
वर्ष 2017 में 15 वर्षों के अंतराल के बाद नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति जारी की गई। 15 मार्च, 2017 को मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) 2017 को अपनी स्वीकृती दी। एनएचपी 2017 में बदल रही सामाजिक, आर्थिक प्रौद्योगिकी तथा महामारी से संबंधित वर्तमान परिस्थिति और उभर रही चुनौतियों का समाधान किया गया है। नई नीति बनाने की प्रक्रिया में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की केन्द्रीय परिषद तथा मंत्री समूह की स्वीकृति से पहले विभिन्न हित-धारकों तथा क्षेत्रीय हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया गया।
एनएचपी 2017 का प्रमुख संकल्प 2025 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय को जीडीपी के 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाना है। स्वास्थ्य नीति में स्वास्थ्य और निरोग केन्द्रों के माध्यम से आश्वस्त व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा का बड़ा पैकेज उपलब्ध कराना है। इस नीति का उद्देश्य सभी के लिए संभव उच्चस्तरीय स्वास्थ सेवा का लक्ष्य प्राप्त करना, रोकथाम और संवर्धनकारी स्वास्थ्य सेवा तथा वित्तीय बोझ रहित गुणवत्ता संपन्न स्वास्थ्य सेवाओं की सार्वभौमिक पहुंच उपलब्ध कराना है। पहुंच बढ़ाकर, गुणवत्ता में सुधार करके और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की लागत में कमी करके इसे हासिल किया जाएगा। एनएचपी 2017 में संसाधनों का बड़ा भाग (दो तिहाई या अधिक) प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को उपलब्ध कराने पर बल दिया गया है और इसका बल प्रति एक हजार की आबादी पर दो बिस्तरों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने पर है। इस आबादी का वितरण इस प्रकार किया गया है ताकि स्वर्ण घण्टे के अंदर पहुंच हो सके। स्वास्थ्य नीति 2017 में नई दृष्टि से निजी क्षेत्र से रणनीतिक खरीदारी पर ध्यान दिया गया है। राष्ट्रीय नीति में स्वास्थ्य लक्ष्यों को हासिल करने में निजी क्षेत्र की मजबूतियों का लाभ उठाने और निजी क्षेत्र के साथ मजबूत साझेदारी पर ध्यान दिया गया है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के प्रमुख आकर्षण निम्नलिखित हैं।
1.  आश्वासन आधारित दृष्टिकोण-नीति में रोकथाम और संवर्धनकारी स्वास्थ्य सेवा पर फोकस करते हुए आश्वासन आधारित दृष्टिकोण पर बल दिया गया है।
2.  स्वास्थ कार्ड को स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ना-नीति में देश में कहीं भी सेवाओं के परिभाषित पैकेज के लिए स्वास्थ कार्ड को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ने की सिफारिश की गई है।
3.  रोगी केन्द्रीत दृष्टिकोण-नीति में रोगी देखभाल, सेवाओं के मूल्य, लापरवाही तथा अनुचित व्यवहारों से संबंधित विवादों/ शिकायतों के समाधान के लिए अधिकार सम्पन्न चिकित्सा अधिकरण स्थापित करने की सिफारिश की गई है तथा प्रयोगशालाओं और इमेजिंग सेन्टरों तथा उभर रही विशेषज्ञ सेवाओं के लिए मानक नियामक ढ़ांचा स्थापित करने की सिफारिश की गई है।
4.  पोषक तत्व की कमी- पोषक तत्व की कमी से उत्पन्न कुपोषण को घटाने पर बल तथा सभी क्षेत्रों में पोषक तत्व की पर्याप्तता में विविधता पर फोकस।
5.  देखभाल गुणवत्ता- सार्वजनिक अस्पतालों तथा स्वास्थ सुविधाओं का समय-समय पर मूल्यांकन किया जाएगा और उन्हें गुणवत्ता स्तर का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा।
6.  मेक इन इंडिया पहल- नीति में दीर्घकालिक दृष्टि से भारतीय आबादी के लिए देश में बने उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय मैन्यूफैक्चरिंग को संवेदी और सक्रिय बनाने की आवश्यकता पर बल।
7.  डीजिटल स्वास्थ्य प्रणाली-स्वास्थ नीति में चिकित्सा सेवा प्रणाली की दक्षता और परिणाम को सुधारने के लिए डीजिटल उपायों की व्यापक तैनाती पर बल दिया गया है। इसका उद्देश्य सभी हितधारकों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाली तथा कार्य दक्षता, पादर्शिता और सुधार करने वाली एकीकृत स्वास्थ सूचना प्रणाली स्थापित करना है।
8.  महत्वपूर्ण अंतरों को पाटने और स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में रणनीतिक खरीदारी करने के लिए निजी क्षेत्र से सहयोग।
एनएचपी 2017 को सरकार द्वारा केन्द्रीय बजट 2017-18 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के लिए 47,352.51 करोड़ रूपये आबंटित करके  उचित समर्थन दिया है। यह राशि पिछले वर्ष के आबंटन से 27.7 प्रतिशत अधिक है।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक, 2017
मंत्रिमंडल ने 15 दिसम्बर, 2017 को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2017 को स्वीकृति दी।
विधेयक में निम्नलिखित प्रावधान हैं:
चिकित्सा परिषद 1956, अधिनियम को बदलना
चिकित्सा शिक्षा सुधार के क्षेत्र में दूरगामी कार्य करना
प्रक्रिया आधारित नियमन के बजाए परिणाम आधारित चिकित्सा शिक्षा नियमन
स्वशासी बोर्डों की स्थापना करके नियामक के अंदर उचित कार्य विभाजन सुनिश्चित करना
चिकित्सा शिक्षा में मानक बनाए रखने के लिए उत्तरदायी और पारदर्शी प्रक्रिया बनाना
भारत में पर्याप्त स्वास्थ कार्याबल सुनिश्चित करने का दूरदर्शी दृष्टिकोण
नये कानून के प्रत्याशित लाभ:
चिकित्सा शिक्षा संस्थानों पर कठोर नियामक नियंत्रण की समाप्ति और परिणाम आधारित निगरानी व्यवस्था
राष्ट्रीय लाइसेंस परीक्षा लागू करना। यह पहला मौका होगा जहां देश के किसी उच्च शिक्षा क्षेत्र में ऐसा प्रावधान लागू किया गया है जैसा की पहले नीट तथा साझा काउंसलिंग लागू किया गया था।
चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र को उदार और मुक्त बनाने से यूजी और पीजी सीटों की संख्या बढ़ेगी और इस अवसंरचना क्षेत्र में नया निवेश बढ़ेगा।
आयुष चिकित्सा प्राणाली के साथ बेहतर समन्वय
चिकित्सा महाविद्यालयों में 40 प्रतिशत सीटों के नियमन से किसी भी वित्तीय स्थिति के सभी मेधावी विधार्थियों मेडिकल सीटों तक पहुंच।

राष्ट्रीय पोषण मिशन (एनएनएम) 

केन्द्र ने स्वास्थ और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा महिला और विकास मंत्रालय के संयुक्त प्रयास राष्ट्रीय पोषण मिशन को स्वीकृति दी जिसका उद्देश्य कुपोषण के अंतरपीढ़ी चक्र को रोकने के लिए जीवन चक्र दृष्टिकोण अपनाना है।
मिशन में वृद्धि स्तर को कम करने, कुपोषण, एनीमियां तथा कम वजन के नवजातों की संख्या में कमी लाने की परिकल्पना की गई है। इससे आपसी मेल-मिलाप होगा, बेहतर निगरानी सुनिश्चित होगी, समय पर कार्रवाई के लिए एलर्ट जारी होगा और लक्ष्य हासिल करने में राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को मंत्रालय तथा राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के अनुरूप प्रदर्शन, निर्देशन और निरीक्षण में प्रोत्साहन मिलेगा।
मिशन का उद्देश्य 10 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ प्रदान करना है।
मिशन दिसम्बर, 2017 में 9046.17 करोड़ रूपये के 3 वर्ष के बजट के साथ लांच किया जाएगा। बजट वर्ष 2017-18 से प्रारम्भ होगा ताकि 2017-18 में 315 जिले, 2018-19 में 235 जिले तथा 2019-20 में शेष जिले कवर किये जा सकें।
मिशन के प्रमुख घटक/विशेषताएं:
कुपोषण से निपटने में योगदान करने वाली विभिन्न योजनाओं का मानचित्रण
आपसी मिलन की सुदृढ व्यवस्था लागू करना।
आईसीटी आधारित रियल टाइम निगरानी प्रणाली।
लक्ष्यों की पूर्ति के लिए राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को संवेदी बनाना।
आंगवाड़ी कर्मियों को आईटी आधारित उपयों के इस्तेमाल के लिए संवेदी बनाना।
आंगवाड़ी कर्मियों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले रजिस्टरों को समाप्त करना।
आंगवाड़ी केन्द्रों पर बच्चों की लम्बाई नापने की व्यवस्था लागू करना।
सामाजिक लेखा-जोखा
विभिन्न गतिविधियों के जरिये पोषण कार्यक्रम में भागीदारी के लिए जनआंदोलन के माध्यम से लोगों को शामिल करके पोषण संसाधन केन्द्र स्थापित करना।

मानसिक स्वास्थ्य सेवा अधिनियम, 2017
अधिनियम में भारत में मानसिक स्वास्थ के लिए आधार आधारित वैधानिक ढांचा अपनाया गया है। इसमे मानसिक स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे लोगों के अधिकारों को सुरक्षित रखने और उनके लिए अधिक से अधिक देखभाल और सम्मान के साथ जीवन सुनिश्चित करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान में समानता को मजबूत बनाया गया है।
यह अधिनियम पहुंच गुणवत्ता में सुधार तथा उचित मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए संस्थागत व्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है। अधिनियम मानसिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में सरकारी और निजी क्षेत्रों के दायित्व को बढ़ाता है। इसमें मानसिक स्वास्थ्य संबंधी व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व है और देखभाल के लिए केन्द्रीय तथा राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकार स्थापित करने की व्यवस्था है।
अधिनियम का सर्वाधिक प्रगतिशिल विशेषता अग्रिम निर्देश का प्रावधान, नामित प्रतिनिधि, दाखिला, उपचार, स्वच्छता तथा व्यक्तिगत साफ सफाई से संबंधित महिलाओं तथा बच्चों के लिए विशेष धारा है। इलेक्ट्रो-कनवल्सिव थेरेपी तथा साइकोसर्जरी के उपयोग पर प्रतिबंध।
इस अधिनियम का एक महत्वपूर्ण पक्ष आत्महत्या को अपराधीकरण के दायरे से मुक्त बनाना है जिससे आत्महत्या प्रयासों के दबाव का उचित प्रबंधन सुनिश्चित होगा।
एचआईवी और एड्स ( निवारण और नियंत्रण) अधिनियम 2017
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत विकास लक्ष्य के तहत 2030 तक इस महामारी को खत्म करना।
-कोई भी व्यक्ति जो एड्स से पीड़ित हो उसके साथ रोजगार, शैक्षणिक संस्थानों, मकान को किराये पर देने, दूसरी स्वास्थ्य सुविधाओं और बीमा सेवाओं के मुद्दे पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
-अधिनियम में इस बात पर विशेष जोर दिया गया है कि पीड़ित व्यक्ति को उसकी जानकारी में एचआईवी संबंधित परीक्षण, उपचार और रोग विषयक अनुसंधान को आगे बढ़ाया जाए।
- 18 साल से कम उम्र का हर एक व्यक्ति जो एचआईवी से पीड़ित या प्रभावित हो उसे साझे घर में रहने के साथ साथ पारिवारिक सुविधाओं के आनंद लेने का पूरा अधिकार है।
- अधिनियम, किसी भी व्यक्ति को एचआईवी पॉजिटिव लोगों और उनके साथ रहने वाले लोगों के प्रति नफरत की भावनाओं की वकालत करने से रोकता है।
- कोई भी व्यक्ति अपनी सूचित सहमति के अलावा उसका / उसकी एचआईवी स्थिति का खुलासा करने के लिए मजबूर नहीं होगाऔर यदि न्यायालय आदेश द्वारा आवश्यक हो।
- राज्य की देखभाल और हिरासत में हर व्यक्ति को एचआईवी की रोकथामपरीक्षणउपचार और परामर्श सेवाएं प्राप्त करने का अधिकार होगा।
- अधिनियम से पता चलता है कि एचआईवी पॉजिटिव व्यक्तियों से संबंधित मामलों को प्राथमिकता के आधार पर अदालत निपटायेगा और गोपनीयता की व्यवस्था भी सुनिश्चित करेगा।
यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी)
भारत का यूआईपी दुनिया के सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है। इस कार्यक्रम के तहत 3 करोड़ गर्भवती महिलाओं और 2.7 करोड़ नवजात बच्चों के टीकाकरण का वार्षिक लक्ष्य निर्धारित है।90 लाख से अधिक टीकाकरण सत्र हर साल आयोजित किए जाते हैं। यह दुनिया में सबसे अधिक लागत प्रभावी सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप कार्यक्रम है।
यूआईपी के तहत नये प्रयास
मिशन इंद्रधनुष: भारत सरकार ने दिसंबर 2014 में मिशन इंद्रधनुष (एमआई) शुरू की । इसके तहत (लक्षित कार्यक्रम) उन बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जो टीकाकरण से वंचित हैं या जिन्हें आंशिक रूप से टीका लगाया गया है। इस अभियान में उन जिलों पर ज्यादा ध्यान दिया गया है जहां बच्चों को किसी न किसी वजह से टीकाकरण का फायदा नहीं मिल सका। मिशन इंद्रधनुष के चार चरणों को पूरा कर लिया गया है, जिसमें 2.94 करोड़ बच्चों को टीका लगाया गया हैजिनमें से 76.36 लाख बच्चों को पूरी तरह से प्रतिरक्षित किया गया है। इसके अलावा 76.84 लाख गर्भवती महिलाओं को टेटनस से बचाव के लिए टीका लगाया गया था। मिशन इंद्रधनुश के तहत  दो राउंड के दौरान पूर्ण प्रतिरक्षण कवरेज में वृद्धि की वार्षिक दर 1% से बढ़कर 6.7% हो गई है।
इंटेंसिफाइड मिशन इंद्रधनुष
भारत के माननीय प्रधान मंत्री द्वारा 8 जून2017 को वडनगरगुजरात से तीव्र मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई) शुरू की गई। इंटेंसिफाइड मिशन इंद्रधनुष 16राज्यों के 121 जिलोंपूर्वोत्तर राज्यों के 52 जिलों और 17 शहरी इलाकों में आयोजित किए जाएंगे जहां मिशन इंद्रधनुष और यूआईपी के दोहराए चरणों के बावजूद टीकाकरण की कवरेज बहुत कम है। दिसंबर 2018 तक 90% से अधिक की पूर्ण प्रतिरक्षण कवरेज का कार्यक्रम भी लक्षित है। अक्टूबर और नवंबर में आईएमआई के दो दौर के दौरान 190 जिलों और शहरी क्षेत्रों में कुल 39.19 लाख बच्चों और 8.09 लाख गर्भवती महिलाओं को टीका लगाया गया है।
नये टीके का परिचय
निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (आईपीवी): भारत पोलियो मुक्त है लेकिन इस स्थिति को बनाए रखने के लिएनिष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (आईपीवी) पेश किया गया था। अक्टूबर2017 तक  देश में आईपीवी की 2.95 करोड़ खुराक की व्यवस्था की गई है।
वयस्क(एडल्ट) जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई) वैक्सीन: जापानी एन्सेफलाइटिस,15 साल से कम उम्र के बच्चों में मस्तिष्क को प्रभावित करने वाला प्राणघातक वायरल रोग है। हालांकि राष्ट्रीय वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी) ने असमउत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के 31 प्रभावित जिलों की पहचान 15- 65 साल के आयु समूह में वयस्क जेई टीकाकरण के लिए की थी। वयस्क जेई टीकाकरण अभियान असमउत्तर प्रदेशपश्चिम बंगाल के सभी 31 जिलों में पूरा किया गया हैजिसमें 15-65 वर्ष की आयु से अधिक 3.3 करोड़ लाभार्थियों को टीका लगाया गया है।
रोटावायरस वैक्सीन: रोटावायरस युवा बच्चों के बीच गंभीर दस्त और मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। फिलहाल9 राज्यों - आंध्र प्रदेशहरियाणाहिमाचल प्रदेशओडिशामध्य प्रदेशअसमराजस्थानतमिलनाडु और त्रिपुरा में रोटावायरस टीका पेश किया गया है। अक्टूबर2017 तक रोटावायरस के टीके के 1.12 करोड़ खुराकों के बारे में जानकारी दी गई है।
खसरा-रूबेला (एमआर) वैक्सीन: रूबेला संक्रमण के कारण जन्मजात जन्म के दोषों के प्रति सुरक्षा प्रदान करने के लिए रूबेला वैक्सीन को खसरा-रूबेला वैक्सीन के रूप में यूआईपी में पेश किया गया है। चरणबद्ध तरीके से एमआर अभियान को  शुरू किया जा रहा है, हालांकि 5 राज्यों / संघ शासित प्रदेशों (कर्नाटकतमिलनाडुगोवालक्षद्वीप और पुडुचेरी) में फरवरी2017 से शुरू हुआ था। 3.33 करोड़ बच्चों को 97% की कवरेज के साथ टीका लगाया गया था। इन राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में 9-12 महीने और 16-24 महीनों में दो खुराक के रूप में नियमित टीकाकरण में एमआर टीका पेश किया गया है। अगला चरण अगस्त2017 से शुरू हुआ और यह 6 राज्यों / संघ शासित प्रदेशों (आंध्र प्रदेशचंडीगढ़दादरा और नगर हवेलीदमन और दीवहिमाचल प्रदेशतेलंगाना) में पूरा हो गया है। केरल और उत्तराखंड में अभियान चल रहा है नवंबर 2017 तक  इन 8 राज्यों / संघ शासित प्रदेशों में 3 करोड़ से अधिक बच्चों को अभियान में शामिल किया गया है।
निमोकोकल वैक्सीन (पीसीवी): यूआईपी के तहत पीयूवी को मई 2017 में चरणबद्ध तरीके से शुरू किया गया था ताकि न्यूमोकोकलल न्यूमोनिया की वजह से शिशुओं के मृत्यु दर को कम किया जा सके। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के सभी 12 जिलों में उत्तर प्रदेश के 6 जिलों और बिहार के 17 जिलों में पीसीवी वैक्सीन पेश किया गया है। अक्टूबर  2017 तक लगभग 5.7 लाख खुराक का प्रबंध किया गया है।
लेबर रूम की गुणवत्ता में सुधार की पहल – लक्ष्यलेबर रूम और मातृत्व ऑपरेशन थियेटर्स में गर्भवती मां को प्रदान की जा रही सुविधाओं और गर्भवती महिलाएं देखभाल की गुणवत्ता में सुधार के लिए स्वास्थ्य परिवार और कल्याण मंत्रालय (MoHFW ) ने लक्ष्य प्रारंभ किया। इसका मकसद जच्चा और बच्चे में अवांछनीय प्रतिकूल परिणामों को रोकना है।
-लेबर रूम और मातृत्व ओ.टी. में प्रसव के दौरान मातृ एवं नवजात जन्मजात मृत्युरोगग्रस्तता और मृत जन्म को कम करना है। इसके साथ ही  सम्मानपूर्ण मातृत्व देखभाल सुनिश्चित करना है।
- यह पहल सरकारी मेडिकल कॉलेजों (एमसी) के साथ साथ जिला अस्पताल (डीएचएस) के अलावा और उच्च वितरण भार उप-जिला अस्पताल (एसडीएच) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में लागू की जाएगी।
- इस पहल में लेबर रूम की गुणवत्ता प्रमाणन करने और उल्लिखित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन देने की योजना है।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए)
-इस कार्यक्रम का उद्देश्य हर महीने 9 तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं को सुनिश्चितव्यापक और गुणवत्तापूर्व प्रसव पूर्व देखभाल नि:शुल्क प्रदान करना है।
-4500 से अधिक स्वयंसेवकों को सभी राज्य / संघ शासित प्रदेशों में पीएमएसएमए पोर्टल पर पंजीकृत किया गया है।
-पीएमएसएमए सभी राज्य / संघ शासित प्रदेशों में 12500 से अधिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर आयोजित किया जाता है।
-अभियान के तहत व्यापक सेवाओं के लिए पीएमएसएमए साइटों पर 90 लाख से अधिक पूर्व प्रसवपूर्व परीक्षण किए गए हैं।
-पीएमएसएमए के तहत 5 लाख से अधिक उच्च जोखिम वाले गर्भधारण की पहचान की गई है।
इंटेंसिफाईड डायरिया नियंत्रण पाक्षिक (आईडीसीएफ)
-2014 के बाद से हर साल जुलाई-अगस्त के दौरान 'बाल बचपन के कारण शून्य बच्चे की मौतके अंतिम लक्ष्य के साथ मनाया गया।
-पखवाड़े के दौरान (15 दिन में) स्वास्थ्य कर्मचारी पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों के घरों में जाते हैं। इसके तहत  सामुदायिक स्तर की जागरूकता निर्माण, गतिविधियों का संचालन और ओआरएस वितरित करते हैं।
-2017 (जुलाई-अगस्त) में  पांच वर्ष से कम उम्र के 7 करोड़ से अधिक बच्चे ओआरएस की सुविधा के लिए आशा केंद्रों तक गये।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके)
-4 डी पर नियंत्रण के लिए बच्चों की जांच और नि:शुल्क उपचार के लिए फरवरी 2013 में इस कार्यक्रम को शुरू किया गया था। 4 डी में विकलांगता सहित जन्मरोगकमियों और विकास विलंब पर दोष शामिल है।
-सितंबर2017 तक 36 राज्यों / संघ शासित प्रदेशों में 11020 टीमें हैं।
-92 जिला प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्र (डीईआईसी) कार्यात्मक हैं।
-11.7 करोड़ बच्चों की जांच की गई। 43.4 लाख बच्चों को माध्यमिक तृतीयक सुविधाओं के लिए भेजा गया जबकि 27.8 लाख बच्चों ने माध्यमिक तृतीयक सुविधाओं में सेवाओं का लाभ उठाया।
नेशनल डिवर्मिंग डे (एनडीडी)
एसटीएच संक्रमण का मुकाबला करने के लिएस्वास्थ्य मंत्रालय ने एनडीडी नामक एक ही दिन की रणनीति को अपनाया हैजिसमें स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों के मंच के माध्यम से 1-19 वर्ष से आयु वर्ग के बच्चों को अल्बेंडाजोल की एक खुराक दी जाती है।
-88% कवरेज के साथ 2017 में 50.6 करोड़ बच्चों को दो राउंड (फरवरी और अगस्त) में शामिल किया गया था।
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके)
2014 में एक व्यापक कार्यक्रम के रूप में यौन प्रजनन स्वास्थ्यपोषणचोट लगने और हिंसा (लिंग आधारित हिंसा सहित) पर ध्यान केंद्रित किया गया। गैर-संचारी रोगमानसिक स्वास्थ्य और पदार्थएक प्रोत्साहन और निवारक दृष्टिकोण के साथ दुरुपयोग मामलों में विशेष ध्यान देने पर बल दिया गया।
स्वास्थ्य सुविधाओंसमुदाय और स्कूलों को प्लेटफॉर्म के रूप में हस्तक्षेप के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
 किशोरावस्था के अनुकूल स्वास्थ्य क्लिनिक (एएफएसएचसी): ये किशोरों के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के संपर्क के पहले स्तर के रूप में कार्य करते हैं। आज तक देश भर में 7632 एएफएचसी स्थापित किए गए हैं और करीब 29.5 लाख किशोरों ने 2017-18 की दूसरी तिमाही के दौरान सेवाओं का लाभ उठाया है।
 साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन (वाईफ) प्रोग्राम: इसमें स्कूली लड़कों और लड़कियों के लिए साप्ताहिक पर्यवेक्षण आईएफए गोलियों के प्रावधान और पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा के अलावा दो वर्षीय बच्चों और दो वर्षीय अल्बेन्डाजोल की गोलियां शामिल हैं। 2017-18 की दूसरी तिमाही तक  3.9 करोड़ लाभार्थियों (किशोर लड़कों और लड़कियों) को वाईफस के तहत लाभान्वित किया गया।
मासिक धर्म स्वच्छता योजना: यह योजना ग्रामीण इलाकों में किशोरियों के लिए लागू की जा रही है। सेनेटरी नैपकिन की खरीद को वर्ष 2014 से विकेंद्रीकृत किया गया है। टेंडर प्रक्रिया के तहत सैनिटरी नैपकिन की विकेंद्रीकृत खरीद के लिए एनएचएम के माध्यम से 42.9 करोड़ रुपये को आवंटित किया गया है। जबकि आठ राज्य, राज्य निधि के माध्यम से इस योजना को कार्यान्वित कर रहे हैं।
 पीयर एजुकेशन प्रोग्राम: कार्यक्रम के तहत चार पीअर एडुकेटर्स (साथी) - स्वास्थ्य समस्याओं पर किशोरों को जानकारी देने के लिए प्रति 1000 आबादी के लिए दो पुरुष और दो महिला का चयन किया जाता है। पीयर एजुकेशन प्रोग्राम को 211 जिलों में लागू किया जा रहा है, अब तक 1.94 लाख पीई चुना गया है इसके साथ ही एएनएम और पीयर शिक्षक के लिए प्रशिक्षण जारी है।

मिशन पारिवार विकस (एमपीवी)
7 राज्यों के 146 जिलों में 3 से अधिक या इससे ऊपर के टीएफआर वाले जिलों में गर्भ निरोधकों और परिवार नियोजन सेवाओं की पहुंच में काफी वृद्धि हुई है।
एमपीवी में निम्नलिखित गतिविधियां शामिल हैं।
-इनजेक्टेबल गर्भनिरोधक के बाहर रोल करें
-बंध्याकरण मुआवजा योजना
-सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में कंडोम बॉक्स
-एमपीवी अभियान और सारथी (आईईसी वाहन)
-नव विवाहित जोड़ों के लिए नई पहल किट
-सास बहू सम्मेलन  
परिवार नियोजन - उपस्कर प्रबंधन सूचना प्रणाली (एफपी-एलएमआईएस)
-आपूर्ति-श्रृंखला प्रबंधन प्रणाली को मजबूत करने के लिए शुभारंभ किया गया।
-प्रशिक्षकों का राष्ट्रीय प्रशिक्षण (टीओटी) पूरा हो चुका है।
-राज्य स्तर का प्रशिक्षण 13 राज्यों और 3 राज्यों / संघ शासित प्रदेशों में पूरा हो चुका हैजिला स्तर के प्रशिक्षण को भी शुरू किया गया है।
-राज्य गोदामों के लिए भूमि शेयर प्रविष्टि 34 राज्यों / संघ शासित प्रदेशों (लक्षद्वीप और नागालैंड को छोड़कर) में पूरा कर लिया गया है।
स्वास्थ्य और सशक्त केंद्र (एचडब्ल्यूसी)
2017-18 में  मंत्रालय ने स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) के लिए उप-स्वास्थ्य केंद्रों के परिवर्तन का उल्लेख किया है ताकि इसे व्यापक बनाने के लिए प्राथमिक देखभाल की सेवाओं की टोकरी का विस्तार किया जा सके।
 एचडब्ल्यूसी से आरएमएनसीएच + एसंचारी बीमारियोंगैर-संचारी रोगोंनेत्र विज्ञानईएनटीदंत चिकित्सामानसिकवृद्धावस्था की देखभालतीव्र सरल चिकित्सा के लिए उपचार से संबंधित सेवाओं के पैकेज के लिए निवारकप्रोत्साहनपुनर्वास के साथ साथ आपातकालीन और आघात सेवाओं को उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया है।
  इंसेंटिव पैकेज में निम्नलिखित सेवाओं पर विशेष ध्यान
1. गर्भावस्था और बच्चे के जन्म में देखभाल।
2. नवजात और शिशु स्वास्थ्य देखभाल सेवा।
3. बचपन और किशोर स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं।
4. परिवार नियोजनगर्भनिरोधक सेवाएं और अन्य प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं।
5. संचारी रोगों का प्रबंधन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम।
6. सामान्य सरल रोगों और सामान्य सरल बीमारियों और मामूली बीमारियों के लिए सामान्य से बाहर रोगी देखभाल का प्रबंधन।
7. गैर-संचारी रोगों की स्क्रीनिंग और प्रबंधन।
8. मानसिक स्वास्थ्य बीमारियों का स्क्रीनिंग और बेसिक प्रबंधन।
9. सामान्य नेत्र और ईएनटी समस्याओं की देखभाल।
10. मूलभूत दंत चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल।
11. ज्येष्ठ और उपशामक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं।
12. ट्रॉमा केयर (जो इस स्तर पर प्रबंधित किया जा सकता है) और आपातकालीन चिकित्सा सेवा।
 एच एंड डब्ल्यूसी एक टीम आधारित दृष्टिकोण का उपयोग करके व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करेगा। इसके साथ ही उप केंद्र क्षेत्र के एएनएमआशा और एडब्ल्यूडब्ल्यूएस सहित प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल टीम के साथ मध्य स्तर की सेवा प्रदाता का नेतृत्व करेंगे।
मार्च 2018 तक 4000 उप-केंद्रों को एचडब्ल्यूसी में मार्च 2022 तक 1.25 लाख  उप केंद्रों को एचडब्ल्यूसी में परिवर्तित करने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक 3871 एचडब्ल्यूसी के लिए स्वीकृति पहले ही दे दी गई है।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम
एनएचएम के तहत पीपीपी मोड में सभी जिला अस्पतालों में 'राष्ट्रीय डायलिसिस प्रोग्रामका समर्थन किया जाना चाहिए। एनएचएम सहायता के तहत गरीबों को मुफ्त डायलिसिस सेवाओं के प्रावधान के लिए राज्यों / संघ शासित प्रदेशों को प्रदान किया गया है।
जुलाई 2017 के अनुसार राज्यों / संघ शासित प्रदेशों ने बताया है कि 1.77 लाख से अधिक मरीजों ने 19.15 लाख से अधिक डायलिसिस सत्रों के साथ सेवाओं का लाभ उठाया है।
मुफ्त निदान सेवा पहल
एमओएचएफडब्ल्यू ने दिशानिर्देश में सुविधाओं के प्रत्येक स्तर पर किए जाने वाले जांच की स्पष्ट सूची प्रदान की है। दिशानिर्देश में प्रत्येक स्तर की सुविधा पर उपलब्ध कराए गए परीक्षणों की संख्या अधिक या कम हो सकती है। केरलझारखंड कर्नाटक जैसे राज्यों में लोगों के कुछ वर्गों से उपयोगकर्ता शुल्क जमा हो रहे हैं। जबकि दमण और दीव जैसे यूटी सीटी स्कैन सेवाओं के लिए चार्ज है।
अब तक यह
 कार्यक्रम 26 राज्यों / संघ शासित प्रदेशों में शुरू किया गया है जो नि:शुल्क निदान सेवाओं या तो घर में या पीपीपी मोड में प्रदान कर रहे हैं। परीक्षणों और कार्यान्वयन योजना की संख्या राज्य से भिन्न होती है।
एनएचएम के तहत नि:शुल्क निदान सेवा पहल के लिए 29 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 में 759.10 करोड़ रुपये को मंजूरी दे दी गई है।
जैव चिकित्सा उपकरणों के प्रबंधन और रखरखाव कार्यक्रम
एमओएचएफडब्लयू ने राज्यों के अधिकारियों के साथ उचित तंत्र तैयार करने के लिए परामर्श किया कि पहले से ही खरीदी गई चिकित्सा उपकरण का उपयोग किया गया है और ठीक से बनाए रखा गया है। उनकी कार्यशीलता की स्थिति सहित सभी जैव चिकित्सा उपकरणों की सूची को मैप करने के लिए एक व्यापक अभ्यास किया गया था।
29 राज्यों में मैपिंग का काम पूरा हो गया है। 29,115 स्वास्थ्य सुविधाओं में करीब 4564 करोड़ कीमत के 7,56,750 उपकरणों की पहचान की गई और ये पाया गया कि राज्यों में 13% से 34% की सीमा में उपकरण बेकार थे।

कैंसरमधुमेहकार्दिवास्कुलर रोग और स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) के नियंत्रण और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम
 एनसीडी को रोकने और नियंत्रित करने के लिए  भारत भर में सभी राज्यों में एनपीसीडीसीएस बुनियादी ढांचेमानव संसाधन विकासस्वास्थ्य प्रबोधनशीघ्र निदानप्रबंधन और रेफरल को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
मौजूदा समय में यह  कार्यक्रम 436 जिलों में कार्यान्वित किया जा रहा है।
- 435 जिला अस्पतालों में एनसीडी क्लिनिक की स्थापनाऔर 2145 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र।
-कुल 138 जिलों में कार्डिएक केयर इकाइयां स्थापित की गई हैं। 84 जिलों में कैंसर कीमोथेरेपी के लिए डे केयर सेंटर स्थापित किए गए हैं।
-वित्त वर्ष 2017-18 में 1.92 करोड़ से अधिक लोगों की दूसरी तिमाही तक जांच की गई।
-कार्यक्रम में शिविरों के माध्यम से आउटरीच गतिविधियों का घटक है और इन शिविरों में 1.18 करोड़ से अधिक लोगों की जांच की गई। 10 लाख से अधिक लोगों की जांच की गई और उन्हें मधुमेह की अगली देखभाल के बारे में बताया गया है।
-आज तक लगभग 70 लाख लोग मधुमेह और इसके जटिलताओं के लिएइस कार्यक्रम के तहत उपचार प्राप्त कर रहे हैं।
नैदानिक ​​और दवाओं की सुविधा:
जिले और सीएचसी स्तरों पर एनसीडी क्लीनिकों में भाग लेने वाले एनसीडी मरीजों के लिए नि:शुल्क निदान सुविधाओं और निशुल्क दवाएं प्रदान करने के लिए कार्यक्रम के तहत प्रावधान किया गया है।
मधुमेहहाइपरटेंशन और कॉमन कैंसर (ओरलब्रेस्ट और कोर्वालिक) के लिए जनसंख्या-आधारित स्क्रीनिंग
हाल ही में शुरू की गई जनसंख्या आधारित स्क्रीनिंग ऑफ डायबिटीजउच्च रक्तचाप और आम कैंसर समुदाय स्तर पर जोखिम कारकों को पहचानने और संबोधित करने के लिए बड़े पैमाने पर कदम उठाये गए हैं। 2017-18 के दौरान 150 से अधिक जिलों को लिया जा रहा है।
एनएचएम के तहत व्यापक प्राथमिक देखभाल के हिस्से के रूप में एनसीडी के स्क्रीनिंग और प्रबंधन के लिए संचालन संबंधी दिशानिर्देश पहले ही विकसित और जारी किए गए हैं। चिकित्सा अधिकारीस्टाफ नर्सएएनएम और आशा के लिए प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण पूरा कर लिया गया है। 9126 आशा4373 एएनएम / एमपीडब्ल्यू674 स्टाफ नर्स और 1006 मेडिकल अफसरों को पहले ही प्रशिक्षित किया गया है।
 सितंबर 2017 तक16309 उप केंद्रों में लगभग 170 जिलों के लिए अनुमोदन और स्क्रीनिंग की शुरूआत की गई हैजिसमें करीब 60 जिलों में 12 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों और 20,15,474 लोगों की जांच की गई है।
क्रोनिक ऑब्स्क्टिविव पुल्मोनेरी डिसेएज़ (सीओपीडी) और क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी)
 सीओपीडी और सीकेडी को रोकने और प्रबंधित करने के लिएएनसीडी के कारण मौत के प्रमुख कारण भी हैंएनपीसीडीसीएस के तहत उनका हस्तक्षेप शामिल किया गया है।
अभी तकएनपीसीडीसीएस के हिस्से के रूप में सीकेडी हस्तक्षेप 41 जिलों और 96 जिलों में सीओपीडी हस्तक्षेप में लागू किया गया है।
एनपीसीडीसीएस के साथ आयुष का एकीकरण जीवनशैली संबंधी विकारों के व्यापक प्रबंधन के लिएआयुष के लिए विभिन्न केंद्रीय परिषदों के साथ मिलकर छह जिलों में 'एनपीसीडीसी के साथ आयुष के एकीकरणपर एक पायलट परियोजना शुरू की गई है।  'जीवनशैली से संबंधितआम एनसीडी की रोकथाम और प्रबंधन के लिएएनयूपीसीडीसीएस के तहत एलोपैथी प्रणाली के बीच सिनर्जी का इस्तेमाल किया जा रहा है और आयुष के तहत दवा के वैकल्पिक तंत्र 1,75,417 और 65,169 मरीजों को एनपीसीसीसीएस-आयुष के तहत एनसीडी प्रबंधन के लिए नामांकित किया गया है।1मई 2017 तक इसके अलावासीएफसी और पीएचसी स्तर पर आयोजित दैनिक योग कक्षाओं के तहत 2,21,257 प्रतिभागियों को पंजीकृत किया गया है।
 एनसीडी के प्रति जागरूकता के लिए1,157 आउटरीच शिविर आयोजित किए गए हैं।

अमृत (उपचार के लिए उचित मेडिकल और विश्वसनीय प्रत्यायोजन)
रोगियों के लिए रियायती कीमतों पर मधुमेहसीवीडीकैंसर और अन्य रोगों के लिए दवाएं उपलब्ध कराने के लिए 1 9 राज्यों में 105 फार्मेसियों की स्थापना की गई है।
-5000 से अधिक दवाओं और अन्य उपभोग्य वस्तुएं 50% छूट तक बेची जा रही हैं।
-15 नवंबर 2017 तकअमृत फार्मेसियों से 44.54 लाख रोगियों को लाभ हुआ।
-एमआरपी पर दी गई दवा का मूल्य 417.73 करोड़ रुपये थी और इस तरह से अमृत स्टोर के जरिए दवाओं की बिक्री से 231.34 करोड़ रुपये की बचत हुई।
ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली
 फीस और नियुक्तिऑनलाइन निदान रिपोर्टरक्त ऑनलाइन आदि की उपलब्धता के बारे में पूछताछ के लिए विभिन्न अस्पतालों को लिंक करने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली (ओआरएस) एक रूपरेखा है। अब तक  मध्यप्रदेश जैसे एआईआईएमएस जैसे 124 अस्पतालों के साथ- नई दिल्ली और अन्य एम्स (जोधपुरबिहारऋषिकेशभुवनेश्वररायपुरभोपाल)आरएमएल अस्पतालएसआईसीसफदरजंग अस्पतालनिमहांसअगरतला सरकार मेडिकल कॉलेज; JIPMER आदि बोर्ड ओआरएस पर हैं। अब तक लगभग 10,80,771 नियुक्तियां ऑनलाइन की गई हैं।
सुरक्षित डिलीवरी आवेदन
एम हेल्थ (mHealth) टूल जिसका उपयोग स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए किया जा सकता है जो परिधीय क्षेत्रों में सामान्य और जटिल वितरण का प्रबंधन करते हैं। आवेदन में क्लिनिकल निर्देश फिल्में हैं जो कि प्रमुख प्रत्यारोपण प्रक्रियाओं पर हैंजो कि स्वास्थ्य कर्मचारियों के कौशल को मरीजों के इलाज में मदद कर सकती हैं।
मोबाइल एप:
विभिन्न मोबाइल ऐप को लॉन्च किया गया है
-इंद्रधनुष टीकाकरण (टीकाकरण ट्रैकर के लिए)
-भारत डेंगू से लड़ता है (डेंगू के लक्षणों की जांच करने के लिए एक उपयोगकर्ता को सक्षम करता हैनजदीकी अस्पताल / रक्त बैंक की जानकारी प्राप्त करने और अभिप्राय साझा करने के लिए)
-एनएचपी स्वास्थ्य भारत (रोगजीवन शैलीप्राथमिक चिकित्सा पर सूचना प्रसार) एनएचपी डायरेक्टरी सर्विसेज मोबाइल ऐप (भारत भर में अस्पताल और रक्त बैंकों से संबंधित जानकारी प्रदान की गई है।
-कोई और अधिक तनाव मोबाइल ऐप (तनाव प्रबंधन संबंधी पहलुओं पर जानकारी)
-प्रधान मंत्री सुरक्षित मात्रृत्व अभियान (पीएमएसएमए) मोबाइल ऐप (राज्यों से गर्भावस्था देखभाल संबंधी सूचना की रिपोर्ट करने के लिए)
राष्ट्रीय वेक्टर बोर्न रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी)
मलेरिया
2030 के अंत तक मलेरिया को नष्ट करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक कॉल के जवाब में भारत 2030 तक मलेरिया उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है। उपरोक्त के जवाब मेंभारत ने मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय फ्रेमवर्क तैयार किया और फरवरी 2016 में एचएफएम द्वारा शुरू किया गयाइसके बाद मलेरिया उन्मूलन (2017-2022) के लिए राष्ट्रीय सामरिक योजना (एनएसपी) का मसौदा तैयार किया गया। उपरोक्त दोनों दस्तावेज 2027 तक स्पष्ट दृष्टि और मलेरिया उन्मूलन के लिए समयबद्ध रणनीतियों को देते हैं।
 मलेरिया उन्मूलन के लिए कॉल करने के बाद भारत ने रैपिड डायग्नोस्टीक किट (पीवी और पीएफ दोनों के लिए)आर्टेमिसिनिन संयोजनों जैसे प्रभावी विरोधी मलेरियालंबे समय तक चलने वाली कीटनाशक जाल के प्रावधान - 40 मिलियन का उपयोग करके मलेरिया के निदान की प्राप्ति और बढ़ाकर अपने हस्तक्षेप को मजबूत किया। पूर्वोत्तर राज्यों और उड़ीसा (पहले छत्तीसगढ़ और झारखंड के उच्च स्थानिक क्षेत्रों के लिए पाइप लाइन में) में वितरित की गई है।
इन बढ़ते हुए मलेरिया के हस्तक्षेपों के कारणअक्टूबर2016 की तुलना में अक्टूबर2017 में मलेरिया में करीब 12% की गिरावट देखी है।मौतें नाटकीय रूप से लगभग 52% तक कम हो गई हैं।
 उड़ीसा और पूर्वोत्तर राज्यों की उच्च स्थानिक स्थितियों ने पिछले 2 वर्षों में और साथ ही इस साल भी मलेरिया में भारी गिरावट देखी है।
जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई)
 जेई/एईएस के कारण रोगमृत्यु दर और विकलांगता को कम करने के लिए जेई / एईएस की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम का गठन।
जेई से प्रभावित 231 जिलों में से 216 जिलों में 1-15 उम्र समूह में टीकाकरण कार्यक्रम को पूरा किया गया। 2017-18 में 15 जिलों में जेई टीकाकरण अभियान की योजना बनाई गई है।
-वयस्क टीकाकरण (15-65 वर्ष): असमउत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सभी 31 जिलों में पूरा किया गया।
-प्रहरी स्थल की संख्या 2005 में 51 से बढ़कर 131 हो गई है जो कि जेई की नि:शुल्क पुष्टि के लिए है। 2015 में कुल 406जेई किट (1 किट = 96 टेस्ट) की आपूर्ति की गई। 2016 में 502 जेई किटों की आपूर्ति की गई है। 2017 के दौरान नवंबर तक तक 531 किट की आपूर्ति की गई है।
 -सर्वोच्च रेफ़रल लैबोरेटरीज 12 से बढ़कर 15 हो गई है
 -60 प्राथमिकता वाले जिलों में से 31 पीआईसीयू देश में कार्यरत हैं: उत्तर प्रदेश में 10असम में 4पश्चिम बंगाल में 10तमिलनाडु में 5 और बिहार में 2 हैं।
-राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे जेई को एक अधिसूचित (नोटिफिएबल) रोग बना दें।

वैश्विक उपस्थिति
-भारत एक नियमित भागीदार है और वैश्विक घटनाओं पर प्रमुख वक्ता हैंअर्थात विश्व स्वास्थ्य सम्मेलन 2017संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य सभा आदि में भारत स्वास्थ्य मुद्दों को गंभीरता से उठाता रहा है।
-भारत ने 2017 ब्रिक्स कार्यक्रम में एमओएचएफडब्ल्यू ने स्वास्थ्य मंत्रियों से समन्वय किया थाताकि स्वास्थ्य मुद्दों पर सदस्य राष्ट्रों के निरन्तर सहयोग के लिए अधिवक्ता मिल सके। टीबीचिकित्सा उपकरणों और एएमआर आदि खास ध्यान देने की बात पर बल दिया गया।
-स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग के लिएदिसंबर 2017 में भारत और क्यूबा ने समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य तकनीकीवैज्ञानिकवित्तीय और मानवीय संसाधनों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच व्यापक अंतर-मंत्रिस्तरीय और अंतर-संस्थागत सहयोग स्थापित करना है ताकि मानव गुणवत्ता और गुणवत्ता की उन्नयन के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। और स्वास्थ्य देखभालचिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षणऔर दोनों देशों में शोध में शामिल बुनियादी ढांचागत संसाधन।
-भारत और मोरक्को ने स्वास्थ्य क्षेत्र में विस्तारित सहयोग के लिए दिसंबर 2017 में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
-स्वास्थ्य क्षेत्र में विस्तारित सहयोग के लिए भारत और इटली ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
सहयोग के मुख्य क्षेत्रों में ये खास अंश शामिल हैं
-चिकित्सा डॉक्टरोंअधिकारियोंअन्य स्वास्थ्य पेशेवरों और विशेषज्ञों के एक्सचेंज एवं प्रशिक्षण।
- मानव संसाधन के विकास और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की स्थापना में सहायता।
 -स्वास्थ्य में मानव संसाधनों का अल्पकालिक प्रशिक्षण।
- फार्मास्यूटिकल्सचिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों का विनियमन और इसके बारे में जानकारी का आदान प्रदान।
- फार्मास्यूटिकल्स में व्यावसायिक विकास के अवसरों को बढ़ावा देना।
- सामान्य और आवश्यक दवाओं की खरीद और नशीली दवाओं की आपूर्ति के स्रोत में सहायता।
- स्वास्थ्य उपकरण और दवा उत्पादों की खरीद।
 -एसडीजी-3 और संबंधित कारकों पर जोर देने के साथ आपसी हित के एनसीडी की रोकथाम में सहयोगजैसे कि न्यूरोकार्डियॉवस्कुलर रोगकैंसरसीओपीडीमानसिक स्वास्थ्य और मनोभ्रंश।
 -संचारी रोगों और वेक्टर से उत्पन्न बीमारियों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के क्षेत्र में सहयोग।
-एसडीजी 2 और पौष्टिक सेवाओं के संगठन के प्रकाश में कुपोषण (अति पोषण और अंडर-पोषण) सहित भोजन सेवन के पोषण संबंधी पहलू।
- उत्पादनपरिवर्तनवितरण और खाद्य वितरण की सुरक्षा।
- खाद्य उद्योग ऑपरेटरों के अनुसंधान और प्रशिक्षण।
- स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा और स्वस्थ खाने की आदतों पर नागरिकों के लिए सूचना और संचार।
 -सहयोग के किसी भी अन्य क्षेत्र के रूप में पारस्परिक रूप से निर्णय लिया जा सकता है।
-पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के तहत प्रयासों को गति प्रदान करने और मिशन इंद्रधनुषगहनता मिशन इंद्रधनुष सहित नियमित प्रतिरक्षण के तहत एमओयू पर रोटरी इंडिया के साथ हस्ताक्षर किए गए।
सहयोग के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र
-लाभार्थियों के लिए विशेष रूप से शहरी झुग्गी बस्तियों और अनावश्यक क्षेत्रों में लाभार्थियों का सामाजिक संघटन।
-सत्रों के दौरान रिफ्रेशमेंट्स / स्मारकों जैसे प्रोत्साहन के माध्यम से सामुदायिक जुटाने के अपने प्रयासों में एनसीसीएनवाईकेएनएसएस आदि के सदस्यों को समर्थन देना।
-पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के लिए निजी प्रेक्टिशनरों और स्थानीय नेताओं के साथ समर्थन और जागरूकता पैदा करनामिशन इंद्रधनुषगहनता मिशन इंद्रधनुष और मीसल-रुबेला सहित नियमित टीकाकरण।
-भारत, प्रजनन स्वास्थ्य के क्षेत्र में दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने के लिए 1994 में जनसंख्या और विकास (आईसीपीडी) के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान गठित जनसंख्या और विकास (पीपीडी) - एक अंतर-सरकारी संगठन के संस्थापक सदस्य हैजनसंख्या और विकास भारत वर्तमान में पीपीडी बोर्ड के उपाध्यक्ष है।
-भारत उच्च स्तर की सलाहकार समूह का सदस्य है और पीएमएनसी (मातृनव-जन्म और बाल स्वास्थ्य) बोर्ड के लिए कार्यकारी समिति के सह-अध्यक्ष भी है।
-भारत ने महिलाओंबच्चों और किशोरों के लिए अद्यतन वैश्विक रणनीति के विकास में नेतृत्व की भूमिका निभाई है, और किशोरावस्था में स्वास्थ्य को वैश्विक रणनीति में शामिल करने के लिए ताकत लगा दी है।
-सचिवएमओएफ़एफडब्ल्यूको पुलिस ब्यूरो के अध्यक्ष (अगले दो वर्षों में डब्ल्यूएचओ फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (एफसीटीसी) के पक्ष में सम्मेलन के रूप में सेवा के लिए चुना गया है।
-एमओएचएफडब्ल्यू ने एएमआर (एंटी माइक्रोबियल रेसस्टेंस) पर भारत के नेतृत्व को मजबूत करने और एएमआर से निपटने के लिए एक संशोधित और मजबूत राष्ट्रीय कार्य योजना को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है इस वर्ष के शुरू में जारी किया गया है।
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वीके/एएम/एजी/एलआर/पीकेए/एसके/पीबी/एमएस-6020


Estimates of Gross Domestic Product (GDP), Net Domestic Product (NDP) and National Income, measured as Net National Income (NNI)

Press Information Bureau  Government of India Ministry of Statistics & Programme Implementation 03-August-2017 Gross Domesti...