रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय : वर्षांत समीक्षा-2017
http://pib.nic.in/newsite/PrintHindiRelease.aspx?relid=69839
उर्वरक विभाग
यूरिया मूल्य निर्धारण नीति – 2015: नई यूरिया नीति-2015 को 25 मई, 2015 को अधिसूचित किया गया था। इसके उद्देश्य ये रहे हैं:
नई निवेश नीति : नई निवेश नीति (एनआईपी) के प्रावधानों के तहत, इसके संशोधनों के साथ पढ़ें, मैटिक्स फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (मैटिक्स) ने पश्चिम बंगाल स्थित पानागढ़ में एक सीबीएम आधारित नया अमोनिया-यूरिया परिसर स्थापित किया है, जिसकी वार्षिक स्थापित क्षमता 1.3 एमएमटी है। मैटिक्स का वाणिज्यिक उत्पादन 1 अक्टूबर, 2017 को शुरू हो गया है।
फास्फेटिक और पोटाशिक (पी एंड के) उर्वरकों की दरों में कमी : विभाग ने उर्वरक कम्पनियों को पी एंड के उर्वरकों की दरें घटाने के लिए उत्साहित किया था, जिससे जून, 2016 से प्रति 50 किलो डीएपी, एमओपी और जटिल उर्वरकों की एमआरपी में क्रमशः 125, 250 तथा 50 रुपये की कमी आई। दिसम्बर, 2016 से प्रति 50 किलो डीएपी की कीमत 65 रुपये और घट गई है।
गोरखपुर, सिन्दरी और बरौनी इकाइयों की मौजूदा स्थिति कुछ इस प्रकार है : परियोजना पूर्ण गतिविधियां प्रगति पर हैं। इन तीनों परियोजनाओं के सन्दर्भ में निम्नलिखित परियोजना-पूर्व गतिविधियां पूरी हो गई हैं :
मॉडल उर्वरक खुदरा दुकान :
मई 2017 तक 2000 मॉडल उर्वरक खुदरा दुकानें खोली जा चुकी हैं।
फार्मास्यूटिकल विभाग
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी)
रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग
असम गैस क्रैकर परियोजना (एजीसीपी)
केन्द्र सरकार, अखिल असम छात्र संघ (आसू) और अखिल असम गण संग्राम परिषद (एएजीपी) के बीच हस्ताक्षरित सहमति पत्र को ध्यान में रखते हुए 15 अगस्त, 1985 को असम गैस क्रैकर परियोजना पर पहल की गई, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र का समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास करना है। 2 जनवरी, 2016 को इस परियोजना की शुरुआत की गई और 5 फरवरी, 2016 को डिब्रूगढ़ के लेपेतकाता स्थित बीसीपीएल परिसर में भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इसे राष्ट्र को समर्पित किया गया। परियोजना से संबंधित संयंत्र में लगभग 700 लोगों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार और परियोजना परिसर के अंदर लगभग 1500 लोगों के लिए अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र स्थित डाउनस्ट्रीम रसायन एवं पेट्रोरसायन उद्योग को बीसीपीएल से कच्चा माल प्राप्त होगा और पूर्वोत्तर क्षेत्र में अनेक डाउनस्ट्रीम प्लास्टिक प्रसंस्करण उद्योगों तथा सहायक इकाइयों की स्थापना के जरिये लगभग 1 लाख लोगों के लिए रोजगार सृजित होने की आशा है।
इस संयंत्र में फिलहाल स्थिरीकरण प्रक्रिया जारी है और अन्य उप-उत्पादों के अलावा पॉलीइथिलीन की 2,20,000 टन की वार्षिक उत्पादन क्षमता तथा पॉलीप्रॉपिलीन की 60,000 टन की वार्षिक उत्पादन क्षमता के सापेक्ष बीसीपीएल ने वर्ष 2016-17 के दौरान लगभग 1,00,000 टन पॉलीमर का उत्पादन किया है।
हिन्दुस्तान ऑर्गेनिक केमिकल्स लिमिटेड (एचओसीएल)
भारत सरकार/सीसीईए ने 17 मई, 2017 को एचओसीएल की पुनर्गठन योजना को मंजूरी दी है, जिसमें डाई-नाइट्रोजन टेट्रोऑक्साइड (एन2ओ4) संयंत्र को छोड़कर एचओसीएल की रसायनी यूनिट के समस्त गैर-लाभप्रद संयंत्रों के परिचालनों को बंद करना शामिल है। एन2ओ4 संयंत्र को ‘जैसा भी है, जहां भी है’ के आधार पर इसरो को स्थानांतरित करना तय किया गया।
इस पुनर्गठन योजना को क्रियान्वित करने के लिए विभाग/एचओसीएल द्वारा आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। एन2ओ4 संयंत्र को छोड़कर रसायन यूनिट स्थित सभी संयंत्रों को बन्द कर दिया गया है। वहीं, एन2ओ4 संयंत्र को 1 अक्टूबर, 2017 को इसरो को हस्तांतरित कर दिया गया है।
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उर्वरक विभाग
यूरिया मूल्य निर्धारण नीति – 2015: नई यूरिया नीति-2015 को 25 मई, 2015 को अधिसूचित किया गया था। इसके उद्देश्य ये रहे हैं:
- स्वदेशी यूरिया उत्पादन को अधिकतम स्तर पर पहुंचाना
- यूरिया इकाइयों की ऊर्जा दक्षता बढ़ाना
- भारत सरकार पर सब्सिडी बोझ को तर्कसंगत करना
- लागत से अधिक अवधारणा पर आधारित पुनर्आकलित क्षमता (आरएसी) तक रियायत आधारित मूल्य निर्धारण। एनसीयू के लिए एमआरपी कुल मिलाकर 5360 रुपये प्रति मीट्रिक टन जमा (प्लस) एमआरपी का 5 प्रतिशत तय की गई।
नई निवेश नीति : नई निवेश नीति (एनआईपी) के प्रावधानों के तहत, इसके संशोधनों के साथ पढ़ें, मैटिक्स फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (मैटिक्स) ने पश्चिम बंगाल स्थित पानागढ़ में एक सीबीएम आधारित नया अमोनिया-यूरिया परिसर स्थापित किया है, जिसकी वार्षिक स्थापित क्षमता 1.3 एमएमटी है। मैटिक्स का वाणिज्यिक उत्पादन 1 अक्टूबर, 2017 को शुरू हो गया है।
फास्फेटिक और पोटाशिक (पी एंड के) उर्वरकों की दरों में कमी : विभाग ने उर्वरक कम्पनियों को पी एंड के उर्वरकों की दरें घटाने के लिए उत्साहित किया था, जिससे जून, 2016 से प्रति 50 किलो डीएपी, एमओपी और जटिल उर्वरकों की एमआरपी में क्रमशः 125, 250 तथा 50 रुपये की कमी आई। दिसम्बर, 2016 से प्रति 50 किलो डीएपी की कीमत 65 रुपये और घट गई है।
गोरखपुर, सिन्दरी और बरौनी इकाइयों की मौजूदा स्थिति कुछ इस प्रकार है : परियोजना पूर्ण गतिविधियां प्रगति पर हैं। इन तीनों परियोजनाओं के सन्दर्भ में निम्नलिखित परियोजना-पूर्व गतिविधियां पूरी हो गई हैं :
- संभाव्यता-पूर्व
- भू-तकनीकी जांच और स्थलाकृतिक अध्ययन
मॉडल उर्वरक खुदरा दुकान :
- बजट 2016-17 में अगले तीन वर्षों के दौरान 2000 मॉडल उर्वरक खुदरा दुकानें खोलने की घोषणा की गई थी।
- इन दुकानों में उचित दरों पर गुणवत्तापूर्ण उर्वरकों की बिक्री करने, मृदा परीक्षण, बीज परीक्षण, पोषक तत्वों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने जैसी अनिवार्य सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी।
- इन दुकानों में विभिन्न उपकरणों जैसे ट्रैक्टर, लेजर लेवलर, रोटावेटर, फसल कटाई मशीन एवं थ्रेसर और छिड़कने वाले यंत्रों के साथ-साथ कुदाल और हंसिया जैसे छोटे उपकरणों को भी किराये पर देने जैसी कुछ वैकल्पिक सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी।
मई 2017 तक 2000 मॉडल उर्वरक खुदरा दुकानें खोली जा चुकी हैं।
फार्मास्यूटिकल विभाग
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी)
- 1 जनवरी, 2017 से लेकर 18 दिसम्बर, 2017 तक की अवधि के दौरान 3019 पीएमबीजेपी केन्द्र चालू कर दिए गए हैं। इस योजना के उत्पाद बास्केट का विस्तारीकरण कर इसमें 652 दवाओं और 154 सर्जिकल एवं उपभोग्य पदार्थों को शामिल कर लिया गया है, जिनमें सभी चिकित्सीय श्रेणियां जैसे कि संक्रमण रोधी, मधुमेह रोधी, हृदय रोग संबंधी, कैंसर रोधी, जठरांत्र दवाओं इत्यादि को कवर किया गया है।
- देश भर में पीएमबीजेपी केन्द्र खोलने को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों/संगठनों/गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के साथ हस्ताक्षर किए गए हैं। 2 नवंबर, 2017 तक विभिन्न व्यक्तियों की ओर से 36564 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से सभी को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है।
रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग
असम गैस क्रैकर परियोजना (एजीसीपी)
केन्द्र सरकार, अखिल असम छात्र संघ (आसू) और अखिल असम गण संग्राम परिषद (एएजीपी) के बीच हस्ताक्षरित सहमति पत्र को ध्यान में रखते हुए 15 अगस्त, 1985 को असम गैस क्रैकर परियोजना पर पहल की गई, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र का समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास करना है। 2 जनवरी, 2016 को इस परियोजना की शुरुआत की गई और 5 फरवरी, 2016 को डिब्रूगढ़ के लेपेतकाता स्थित बीसीपीएल परिसर में भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इसे राष्ट्र को समर्पित किया गया। परियोजना से संबंधित संयंत्र में लगभग 700 लोगों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार और परियोजना परिसर के अंदर लगभग 1500 लोगों के लिए अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र स्थित डाउनस्ट्रीम रसायन एवं पेट्रोरसायन उद्योग को बीसीपीएल से कच्चा माल प्राप्त होगा और पूर्वोत्तर क्षेत्र में अनेक डाउनस्ट्रीम प्लास्टिक प्रसंस्करण उद्योगों तथा सहायक इकाइयों की स्थापना के जरिये लगभग 1 लाख लोगों के लिए रोजगार सृजित होने की आशा है।
इस संयंत्र में फिलहाल स्थिरीकरण प्रक्रिया जारी है और अन्य उप-उत्पादों के अलावा पॉलीइथिलीन की 2,20,000 टन की वार्षिक उत्पादन क्षमता तथा पॉलीप्रॉपिलीन की 60,000 टन की वार्षिक उत्पादन क्षमता के सापेक्ष बीसीपीएल ने वर्ष 2016-17 के दौरान लगभग 1,00,000 टन पॉलीमर का उत्पादन किया है।
हिन्दुस्तान ऑर्गेनिक केमिकल्स लिमिटेड (एचओसीएल)
भारत सरकार/सीसीईए ने 17 मई, 2017 को एचओसीएल की पुनर्गठन योजना को मंजूरी दी है, जिसमें डाई-नाइट्रोजन टेट्रोऑक्साइड (एन2ओ4) संयंत्र को छोड़कर एचओसीएल की रसायनी यूनिट के समस्त गैर-लाभप्रद संयंत्रों के परिचालनों को बंद करना शामिल है। एन2ओ4 संयंत्र को ‘जैसा भी है, जहां भी है’ के आधार पर इसरो को स्थानांतरित करना तय किया गया।
इस पुनर्गठन योजना को क्रियान्वित करने के लिए विभाग/एचओसीएल द्वारा आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। एन2ओ4 संयंत्र को छोड़कर रसायन यूनिट स्थित सभी संयंत्रों को बन्द कर दिया गया है। वहीं, एन2ओ4 संयंत्र को 1 अक्टूबर, 2017 को इसरो को हस्तांतरित कर दिया गया है।
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